prithvi scheme:केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस पहल में शामिल योजनाओं में जलवायु अनुसंधान-प्रारूप निरीक्षण प्रणाली और सेवाएं महासागर सेवाएं प्रारूप अनुप्रयोग संसाधन एवं प्रौद्योगिकी ध्रुवीय विज्ञान और क्रायोस्फीयर अनुसंधान भूकंप विज्ञान और भूविज्ञान और अनुसंधान शिक्षा प्रशिक्षण एवं आउटरीच शामिल हैं। वहीं भारत और मारीशस संयुक्त रूप से एक छोटा उपग्रह विकसित करेंगे। अगले साल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा लांच किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से ‘पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी)’ योजना को मंजूरी दे दी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। खास बात है कि इस योजना के लिए 4 हजार 797 करोड़ रुपये का बजट भी दिया गया है। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि यह पहल एडवांस पृथ्वी प्रणाली विज्ञान की दिशा में हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
इसमें जलवायु अनुसंधान, महासागर सेवाएं, ध्रुवीय विज्ञान, भूकंप विज्ञान और बहुत कुछ जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी प्रतिबद्धता न केवल पृथ्वी प्रणाली की समझ को बढ़ाने की है, बल्कि इस ज्ञान को सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक लाभों के लिए व्यावहारिक अनुप्रयोगों में अनुवादित करने की भी है। पीएम ने कहा कि यह योजना प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी और प्रबंधन में भारत की क्षमताओं को मजबूत करेगी, जिससे जीवन और संपत्ति की सुरक्षा होगी।
prithvi vigyan scheme
सरकार ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से संबंधित पांच उप-योजनाओं वाली ”पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी)” पहल को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। 2021-26 की अवधि में इस पर 4,797 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस पहल से अनुसंधान को बल मिलने और पृथ्वी विज्ञान से संबंधित अलग-अलग उप-योजनाओं के लिए आवंटित धन का उपयोग करने की सुविधा मिलेगी। इस योजना में वर्त्तमान में चल रही पांच उप-योजनाएं शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस संबंध में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस पहल में शामिल योजनाओं में जलवायु अनुसंधान-प्रारूप निरीक्षण प्रणाली और सेवाएं, ‘महासागर सेवाएं, प्रारूप अनुप्रयोग, संसाधन एवं प्रौद्योगिकी, ध्रुवीय विज्ञान और क्रायोस्फीयर अनुसंधान, भूकंप विज्ञान और भूविज्ञान और अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण एवं आउटरीच शामिल हैं।
क्या है PRITHviVIgyan योजना
यह योजना पृथ्वी प्रणाली और परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिए वायुमंडल, महासागर, भूमंडल, क्रायोस्फीयर और ठोस पृथ्वी के दीर्घकालिक निरीक्षणों का संवर्द्धन और रखरखाव करेगी। इसके अंतर्गत मौसम, महासागर और जलवायु खतरों को समझने और भविष्यवाणी करने तथा जलवायु परिवर्तन के विज्ञान को समझने के लिए प्रारूप प्रणालियों का विकास शामिल है।
इसके अलावा नई घटनाओं और संसाधनों की खोज करने की दिशा में पृथ्वी के ध्रुवीय और उच्च समुद्री क्षेत्रों की खोज की जाएगी। साथ ही सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए समुद्री संसाधनों की खोज हेतु टेक्नोलॉजी का विकास और संसाधनों का सतत उपयोग शामिल है। योजना के तहत पृथ्वी प्रणाली विज्ञान से प्राप्त ज्ञान और अंतर्दृष्टि को सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ के लिए सेवाओं के रूप में परिणत किया जाएगा|
योजना के ये पांच पहलू हैं अहम
- एटमॉस्फेयर एंड क्लाइमेट रिसर्च-मॉडलिंग ऑबजर्विंग सिस्टम (ACROSS)
- ओशियन सर्विसेज, मॉडलिंग एप्लिकेशन, रिसोर्सेज एंड टेक्नोलॉजी (O-SMART)
- पोलर साइंस एंड क्रायोस्फेयर रिसर्च (PACER)
- सिस्मोलॉजी एंड जियोसाइंस (SAGE)
- रिसर्च, एजुकेशन, ट्रेनिंग एंड आउटरिच (REACHOUT)
इस योजना में पृथ्वी प्रणाली विज्ञान की समझ में सुधार लाने और देश के लिए विश्वसनीय सेवाएं प्रदान करने हेतु पृथ्वी प्रणाली के सभी पांच घटकों को समग्र रूप से शामिल करेगी। पृथ्वी योजना के विभिन्न घटक एक-दूसरे पर निर्भर हैं। इन्हें एमओईएस के अंतर्गत संबंधित संस्थानों द्वारा संयुक्त प्रयासों के माध्यम से एकीकृत रूप में चलाया जाता है। पृथ्वी विज्ञान की व्यापक योजना विभिन्न एमओईएस संस्थानों में एकीकृत बहु–विषयक पृथ्वी विज्ञान अनुसंधान और नवीन कार्यक्रमों के विकास को सक्षम बनाएगी। एकीकृत अनुसंधान एवं विकास से जुड़े ये प्रयास मौसम और जलवायु, महासागर, क्रायोस्फीयर, भूकंपीय विज्ञान और सेवाओं की बड़ी चुनौतियों का समाधान करने और उनके स्थायी दोहन के लिए जीवित और निर्जीव संसाधनों का पता लगाने में मदद करेंगे।