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MSP Kya Hai:Full Form,क्या होता है एमएसपी और कैसे तय करती है सरकार

msp kya hai hindi mein|msp ka full form kya hai|msp full form in hindi|what is msp for farmers:न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP समेत कई अन्य मांगों को लेकर किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। इसके लिए दिल्ली के सभी बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और बैरिगेड्स लगा दिए गए हैं। दरअसल तो एमएसपी का उद्देश्य फसल की कीमत में उतार-चढ़ाव के बीच किसानों को नुकसान से बचाना है। दरअसल 23 फसलों पर एमएसपी लागू की गई है।

कई किसान संगठन से जुड़े किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की मांग को लेकर दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। 13 फरवरी को किसान एमएसपी समेत अपनी कई मांगों के लिए इकट्ठा हो रहे हैं। इसको देखते हुए दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर को सीज कर दिया गया है और आने-जाने वाली हर एक गाड़ी की जांच की जा रही है।

MSP Kya Hai

किसानों द्वारा मेहनत से उगाए गए अनाज की कभी-कभी उसे सही कीमत नहीं मिलती। इन्हीं परेशानियों से किसान भाइयों को बचाने के लिए सरकार फसल का MSP देती है। हम आपको एमएसपी के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं।अगर आपको याद हो तो देश में 2020 से 2021 तक पूरे एक साल तक किसानों ने सरकार के विरोध में आंदोलन चलाया था। यह आंदोलन किसान आंदोलन के नाम से काफी प्रचलित हुआ था। यह आंदोलन एक साल तक सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए लड़ा गया था।

क्या है MSP?

सरल भाषा में कहें तो सरकार, किसानों द्वारा उगाए गए फसल के लिए एक दाम तय करती है, जिसे फसल पूरा होने के बाद जब किसान उस फसल को मंडी में बेचता है तो सरकार द्वारा उस फसल के लिए तय की हुई कीमत किसान को दी जाती है।

MSP की शुरुआत आजादी के बाद हुई थी। दरअसल देश में अकाल और खाद्य संकट से देश के किसान परेशान थे। किसानों को इस संकट से बचाने के लिए एमएसपी की शुरुआत की गई थी।

msp full form in hindi

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) क्या है और क्यों चाहते हैं किसान इसकी गारंटी

क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य दर? (What Is MSP Rate?)

न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी किसानों को दी जाने वाले एक गारंटी की तरह होती है, जिसमें तय किया जाता है कि बाजार में किसानों की फसल किस दाम पर बिकेगी। दरअसल, फसल की बुआई के दौरान ही फसलों की कीमत तय कर दी जाती है और यह तय कीमत से कम में बाजारों में नहीं बिकती है। एमएसपी तय होने के बाद बाजार में फसलों की कीमत गिरने के बाद भी सरकार किसानों को तय कीमत पर ही फसलें खरीदती है। सरल शब्दों में कहें, तो एमएसपी का उद्देश्य फसल की कीमत में उतार-चढ़ाव के बीच किसानों को नुकसान से बचाना है।

किसानों को MSP से क्या फायदा?

एमएसपी सरकार द्वारा किसानों को दिया जाने वाला एक आर्थिक भरोसा है जिससे किसानों को फसल उगाने से पहले उसकी कीमत का अंदाजा हो जाता है कि उसे इस फसल की कितनी कीमत मिलेगी। अकसर ऐसा होता था कि किसान ने फसल तैयार की लेकिन बाजार में उसकी मांग नहीं होने की वजह से किसान को उस फसल का सही दाम नहीं मिलता था, कभी-कभी तो किसान की फसल उगाने में लगी लागत भी नहीं निकलती थी।

मांग और सप्लाई को आसान बनाने के लिए किसान के फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है ताकि कुछ भी हो उस किसान को उस फसल के लिए कम से कम इतनी रकम तो मिलेगी ही।

कानूनी रूप से बाध्य नहीं है सरकार

आपको बता दें कि सरकार कानूनी रूप से किसानों को MSP देने के लिए बाध्य नहीं है। आसान भाषा में कहें तो देश में एमएसपी को लेकर कोई कानून नहीं है। इसलिए कल को किसान, सरकार को एमएसपी के लिए कोर्ट में नहीं घसिट सकते। सरकार चाहें तो किसानों को एमएसपी दें या फिर ना दे।

कौन तय करता है फसलों की MSP?

केंद्र सरकार की कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) हर साल रबी और खरीफ फसलों के लिए MSP तय करती है।

CACP के द्वारा कि जाने वाली सिफारिशों के आधार पर ही सरकार हर साल 23 फसलों के लिए एमएसपी का ऐलान करती है।

कौन से हैं 23 अनाज?

इन 23 अनाजों में से 7 अनाज मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूं, जौ और रागी होती हैं। 5 दालें, मूंग, अरहर, चना, उड़द और मसूर होती है।

7 तिलहन, सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी, कुसुम, मूंगफली, तोरिया-सरसों, और नाइजर बीज होती है और आखिरी 4 कमर्शियल फसलें, कपास, खोपरा, गन्ना और कच्चा जूट होता है।

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