Savitribai Phule Jayanti Status|Savitribai Phule Jayanti Speech:देशभर में प्रतिवर्ष 3 जनवरी के दिन सावित्रीबाई फुले जयंती को मनाया जाता है। सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। इनको सजाज सेविका कवयित्री दार्शनिक आदि के रूप में पहचाना जाता है। सावित्रीबाई फुले को देश की पहली शिक्षिका माना जाता है। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर देश का पहला महिला स्कूल खोला था।
Savitribai Phule Jayanti 2024: आज भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की 193वीं जयंती है। सावित्री बाई फुले सिर्फ भारत की पहली महिला शिक्षका ही नहीं बल्कि वे समाज सुधारक और मराठी कवियत्री भी थीं। उनको मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।सावित्री बाई पूरे देश की महानायिका हैं। उन्होंने पूरे मानव समाज के लिए काम किया। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर महिलाओं के हक और शिक्षा जगत में कई प्रेरणास्रोत काम किए।
Savitribai Phule Jayanti 2024
देशभर में प्रतिवर्ष 3 जनवरी के दिन को सावित्रीबाई फुले जयंती के रूप में मनाया जाता है। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक गांव में हुआ था। उन्हीं को सम्मान देने के लिए प्रतिवर्ष इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। सावित्रीबाई फुले को समाज सेविका, नारी मुक्ति आंदोलन में हिस्सा लेने वाली और देश की पहली अध्यापिका के रूप में जाना जाता है। सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के लिए भी लम्बी लड़ाई लड़ी और उनकी स्थिति में सुधार के लिए बहुत योगदान दिया।
सावित्रीबाई फुले का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था। पहले के समय में दलितों को शिक्षा आदि से वंचित रखा जाता था लेकिन सावित्रीबाई फुले ने इन सब कुरीतियों से लड़कर अपनी पढ़ाई जारी रखी। उनके समाज में छुआ-छूत का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने इन सबसे हार न मानकर अपनी शिक्षा जारी रखी। इसके बाद उन्होंने अहमदनगर और पुणे में अध्यापक बनने की ट्रेनिंग पूरी की और बाद में अध्यापिका बनीं।
Savitribai Phule Jayanti- Ovrview
जन्म तिथि | 3 जनवरी सन् 1831 ई० को |
जन्म स्थान | महाराष्ट्र के सतारा जिले के नयागांव में |
पूरा नाम क्या है | सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले |
पिता का नाम | खन्दोजी नैवेसे |
माता का नाम | लक्ष्मीबाई |
पति का नाम | ज्योतिराव गोविंदराव फुले |
मृत्यु | 10 मार्च सन् 1897 ई० |
पति के मिलकर शुरू किया पहला महिला स्कूल
सावित्रीबाई फुले जब 9 वर्ष की थीं तब उनका विवाह कर दिया गया। उनका विवाह ज्योतिबा फुले के साथ हुए, विवाह के समय उनकी आयु 13 वर्ष थी। अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर 1848 में पहला महिला स्कूल खोला। इसके बाद उन्होंने देशभर में कई अन्य महिला विद्यालयों को खोलने में मदद की। उनके इस कार्य के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उन्हें सम्मानित किया था।
कई आंदोलनों में लिया भाग
सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर कई आंदोलनों में भाग लिया जिसमें से एक सती प्रथा भी था। उन्होंने विधवा होने पर महिलाओं का मुंडन किया जाता था जिसके खिलाफ उन्होंने मुखर होकर नाइयों के खिलाफ आंदोलन किया था।