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Vishwakarma Puja 2023:विश्वकर्मा पूजा 13 नवंबर 2023 जानिए शुभ मुहूर्त पूजा विधि की जानकारी

विश्‍वकर्मा दिवस या विश्‍वकर्मा जयंती या विश्‍वकर्मा पूजा भगवान विश्‍वकर्मा को समर्पित है, जिन्‍हें दुनिया का डिजाइनर माना जाता है। उन्होंने पवित्र द्वारका शहर का निर्माण किया जिस पर कृष्ण का शासन था। भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए कई हथियार भी बनाए।इसे विश्वकर्मा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। भगवान विश्वकर्मा सृजन के देवता माने जाते हैं।

संपूर्ण सृष्टि में जो भी चीजें सृजनात्मक हैं, जिनसे जीवन संचालित होता है वह सब भगवान विश्वकर्मा की देन है। यानी भगवान विश्वकर्मा ही दुनिया के पहले शिल्पकार, वास्तुकार और इंजीनियर थे। कहा जाता है कि जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तो उसे सजाने-संवारने का काम विश्वकर्मा जी ने किया था। इसी श्रद्धा भाव से किसी कार्य के निर्माण और सृजन से जुड़े हुए लोग विश्वकर्मा जयंती के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करते हैं।

Vishwakarma Puja 2023

हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा की उपासना का विशेष महत्व है। बता दें कि भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के प्रथम शिल्पकार के रूप में जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। इस दिन ब्रह्मा जी के पुत्र की उपासना करने से आर्थिक व व्यवसायिक क्षेत्र में व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है।

भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के प्रथम शिल्पकार के रूप में पूजा जाता है। साथ ही प्रत्येक वर्ष कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार, कन्या संक्रांति के दिन ब्रह्मा जी के पुत्र भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। इन्हें स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, कुबेरपुरी जैसे सभी देवनगरी का रचनाकार कहा जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान विश्वकर्मा की उपासना करने से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में आ रही परेशानियों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है और आर्थिक उन्नति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

विश्वकर्मा पूजा 13 नवंबर 2023 जानिए शुभ मुहूर्त

इस बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 13 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से हो रही है और समापन अगले दिन 14 नवंबर दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगा।

विश्वकर्मा पूजा विधि

  • विश्वकर्मा पूजा के दिन आफिस, दुकान, वर्कशॉप, फैक्ट्री चाहे छोटे संस्थान हों या बड़े सभी की साफ सफाई करें।
  • इस दिन सभी तरह के औजारों या सामान की पूजा करनी चाहिए।
  • पूजा के लिए सर्वप्रथम पूजा स्थान पर कलश स्थापना करनी चाहिए।
  • भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए। इस दिन यज्ञ इत्यादि का भी आयोजन किया जाता है।
  • पूजन में श्री विष्णु भगवान का ध्यान करना उत्तम माना गया है।
  • इस दिन पुष्प, अक्षत लेकर मंत्र पढ़ें और चारों ओर अक्षत छिड़कें। इसके बाद हाथ में और सभी मशीनों पर रक्षा सूत्र बांधें।
  • फिर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए दीप जलाएं और पुष्प एवं सुपारी अर्पित करें।
  • विधि विधान से पूजा करने पर पूजा के पश्चात भगवान विश्वकर्मा की आरती करें।
  • भोग स्वरूप प्रसाद अर्पित करें, जिस भी स्थान पर पूजा कर रहे हों उस पूरे परिसर में आरती घुमाएं।
  • पूजा के पश्चात विश्वकर्मा जी से अपने कार्यों में सफलता की कामना करें।

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विश्वकर्मा पूजा का महत्व

विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही व्यापार में तरक्की और उन्नति प्राप्त होती है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति में नई ऊर्जा का संचार होता है और व्यापार या निर्माण आदि जैसे कार्यों में आने वाली सभी समस्याएं और रुकावटें दूर होती हैं।

मान्यताओं के अनुसार देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाए थे, इसलिए इन्हें निर्माण का देवता कहा जाता है। शास्त्रों में ऐसा भी कहा गया है कि ब्रह्माजी के निर्देश पर ही विश्वकर्मा जी ने इंद्रपुरी, त्रेता में लंका, द्वापर में द्वारिका और हस्तिनापुर, कलयुग में जगन्नाथ पुरी आदि का निर्माण किया था। इसके अलावा श्रीहरि भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र, शिव जी का त्रिशूल, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज को भी भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था।

पुष्पक विमान का निर्माण इनकी एक बहुत महत्वपूर्ण रचना मानी जाती है। सभी देवों के भवन और उनके उपयोग में आने वाली अस्त्र शस्त्रों का निर्माण भी विश्वकर्मा जी द्वारा की गई है। कर्ण का कवच या कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र हो या फिर भगवान शिव का त्रिशूल हो, ये सभी चीजें भगवान विश्वकर्मा के निर्माण का प्रभाव है। यमराज का कालदण्ड हो या इंद्र के शस्त्र इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया है।

happy vishwakarma jayanti 2023 in hindi

1. तुम हो सकल सृष्टि कर्ता,

ज्ञान सत्य जग हित धर्ता,

तुम्हारी दृष्टि से नूर है बरसे,

आपके दर्शन को हम भक्त तरसें।

Happy Vishwakarma Puja 2023 !

2. जय जय श्री भुवना विश्वकर्मा,

कृपा करे श्री गुरुदेव सुधर्मा,

श्रीव अरु विश्वकर्मा माहि,

विज्ञानी कहे अंतर नाहि।

आपके परिवार पर विश्वकर्मा जी की कृपा बरसे।

विश्वकर्मा पूजा की बधाई

3. ओम आधार शक्तपे नम:।

ओम कूमयि नम:।

ओम अनन्तम नम:।

पृथिव्यै नम:।

आप और आपके परिवार पर भगवान विश्वकर्मा जी का आशीष बना रहे।

आपकी तरक्की और उन्नति हो।

विश्वकर्मा पूजा की शुभकामनाएं !

4. विश्वकर्मा जी की सदा करो जय जयकार।

करते हैं सदा सब पर उपकार।

इनकी महिमा है सबसे न्यारी।

ये अर्ज सुनो भगवान हमारी।।

विश्वकर्मा पूजा 2023 की हार्दिक शुभकामनाएं !

5. धन, वैभव, सुख–शान्ति देना,

भय, जन–जंजाल से मुक्ति देना।

संकट से लड़ने की शक्ति देना,

हे विश्वकर्मा, हे विश्वकर्मा।।

Happy Vishwakarma Puja 2023 !

6. आप चाहो तो खंडहर को भी,

बना देते हो स्वर्ग सा महल,

अद्भुत है आपकी शिल्पकारी,

आप को पूजे सब नर और नारी।

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